मस्जिद अल-अक़्सा अपने सबसे नाज़ुक ऐतिहासिक दौर से गुज़र रही है और घटनाओं पर प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक है: हमीद अल-अहमर

मस्जिद अल-अक़्सा अपने सबसे नाज़ुक ऐतिहासिक दौर से गुज़र रही है और घटनाओं पर प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक है: हमीद अल-अहमर

लीग ऑफ़ पार्लियामेंटेरियन्स फ़ॉर अल-क़ुद्स एंड फ़िलिस्तीन के अध्यक्ष हमीद बिन अब्दुल्लाह अल-अहमर ने कहा है कि क़ब्ज़े वाले शहर बैतुल मुक़द्दस और मस्जिद अक़्सा अपने सबसे ख़तरनाक ऐतिहासिक दौर से गुज़र रहे हैं.

"अल-क़ुद्स इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन" की वार्षिक रिपोर्ट के लॉन्च के दौरान अपने एक भाषण में, जिसकी अध्यक्षता हमीद अल-अहमर कर रहे थे, ने बताया कि हम एक निर्णायक ऐतिहासिक क्षण में रह रहे हैं: "या तो मस्जिद अक़्सा खो जाएगी, या यह आज़ादी का मीनार बनी रहेगी, या ग़ज़ा को ख़ामोशी, शालीनता और कमज़ोरी में दरम्यान ख़त्म कर दिया जाएगा, या हम इसके चारों ओर की घेराबंदी को तोड़ने में सफल होंगे और क़ब्ज़े पर जीत हासिल करने के लिए हर संभव तरीक़े से इसका समर्थन करेंगे.”

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि क़ब्ज़े वाली सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन ग्विर के मस्जिद अक़्सा के अंदर यहूदी इबादतगाह के निर्माण के अपने इरादे के बारे में दिए गए बयान को "व्यापक पैमाने पर अरब, इस्लामी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना किया जाता.  अफ़सोस की बात यह है कि आज यह बिना किसी जवाबदेही के गुज़र रहा है जो ज़ायोनी चरमपंथी आंदोलन को अल-अक़्सा पर और अधिक हमले करने के लिए प्रोत्साहित करता है.”

श्री हमीद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मस्जिद अल-अक़्सा के मुद्दों और ग़ज़ा पट्टी में नरसंहार के संबंध में अरब और इस्लामी संबंधों में गिरावट आश्चर्यजनक स्तर पर पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि कुछ सरकारों ने ज़ालिमों का साथ देने और ख़ामोश रहने का काम चयन किया है, जबकि कुछ ने कायरतापूर्वक फ़िलिस्तीन का समर्थन करना चुना है.

उन्होंने बताया कि फ़िलिस्तीनी लोगों के पास अपनी भूमि और लोगों के साथ-साथ इस्लामी और ईसाई पवित्रताओं और क़ैदियों के ख़िलाफ़ खुले इसराइली आक्रमण का जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने पुष्टि की कि फ़िलिस्तीनी लोगों के आत्मरक्षा के अधिकार की गारंटी राष्ट्रीय और दैवीय दोनों क़ानूनों द्वारा दी गई है और क़ब्ज़ा अमान्य और नाजायज़ है.

हमीद बिन अब्दुल्ला अल-अहमर ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि, "अमेरिका और पश्चिमी देश फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ होने वाले अन्याय पर अपनी आँखें बंद कर लेते हैं, और न ही वे क़ब्ज़े के ज़रिए उनके ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों को देखना चाहते हैं, जबकि वे फ़िलिस्तीनियों के अधिकार से इनकार करते हैं.”

उन्होंने कहा, “ये हम सब पर ये ज़रूरत लाज़िम करता है कि इन देशों पर अधिक से अधिक दबाव डालें कि वो फ़िलिस्तीनी लोगों की हत्या और उनके अधिकारों को हड़पने में अपनी भागीदारी को रोकें.”

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