लीग के कार्यकारी निकाय का अंतरराष्ट्रीय संसदों से गाज़ा की घेराबंदी को समाप्त कराने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान

लीग के कार्यकारी निकाय का अंतरराष्ट्रीय संसदों से गाज़ा की घेराबंदी को समाप्त कराने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान

लीग ऑफ़ पार्लियामेंटेरियन्स फ़ॉर अल-क़ुद्स (LP4Q) के कार्यकारी निकाय ने अंतरराष्ट्रीय संसदों से आह्वान किया है कि वो 16 साल पहले गाज़ा पट्टी पर किए गए अवैध घेराबंदी को समाप्त कराने के लिए तत्काल क़दम उठाएं.

इस्तांबुल में लीग के मुख्यालय में अपनी आवधिक बैठक के दौरान, कार्यकारी निकाय ने कहा कि वह गाज़ा की नाकाबंदी को समाप्त करने की मांग के साथ एक संसदीय अभियान शुरू करने वाला है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि गाज़ा की घेराबंदी अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है, इसके मानवीय परिणाम हैं, और समय बीतने के साथ इस पट्टी में रहने वाले लोगों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

उन्होंने इस बात से आगाह कराया कि फ़िलिस्तीनी विधान परिषद ने घेराबंदी के कारण बिगड़ते ज़िन्दगी के हालात और मानवीय स्थितियों के मद्देनज़र एक तकलीफ़देह कॉल भेजी है, और दुनिया के सभी सांसदों से आह्वान किया है कि वो घेराबंदी के इस मुद्दे को अपने संसदों में और अपनी सरकारों के साथ उठाएं और इस घेराबंदी को समाप्त कराने के लिए काम करें.

आगे कार्यकारी निकाय ने कहा कि इस घेराबंदी ने पट्टी को मानव निवास के लिए अनुपयुक्त बना दिया है, जो ज़िन्दगी के सभी ज़रूरतों से वंचित है. और इस नाकाबंदी के जारी रहने से मानवीय, आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के लिए भी भयानक परिणाम होंगे, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से यहां बेरोज़गारी, गरीबी और खाद्य असुरक्षा की दर अपने उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है.

लीग ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से नाकाबंदी को समाप्त कराने और गाज़ा पट्टी के निवासियों पर क़ब्ज़े द्वारा लगाए गए सामूहिक दंड की पॉलिसी के कार्यान्वयन को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की.

स्पष्ट रहे कि इसराइली क़ब्ज़े ने साल 2006 से गाज़ा पर एक सख्त ज़मीनी, समुद्री और हवाई नाकाबंदी कर रखी है, जिसके कारण आधी आबादी बेरोज़गारी का शिकार है और इनमें अधिकांश युवा हैं.

इसराइली क़ब्ज़े ने साल 2008 से इस पट्टी के ख़िलाफ़ चार खूनी युद्ध शुरू किए, जिनमें से आख़िरी युद्ध पिछले साल मई में हुआ था और 11 दिनों तक जारी रहा. इसके परिणामस्वरूप, 66 बच्चों, 39 महिलाओं और 17 बुजुर्गों सहित लगभग 266 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए.

यह कब्ज़ा पट्टी में रहने वाले 2.3 मिलियन फ़िलिस्तीनियों को बैत हनून (एरेज़) क्रॉसिंग से यात्रा करने से रोकता है, जबकि यह इस पट्टी में लोगों की आवाजाही के लिए आरक्षित एकमात्र क्रॉसिंग है.

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